भारत की राजधानी दिल्ली में बीते 8 महीनों में 7,880 से अधिक लोग लापता हो चुके हैं। यह आंकड़ा खुद दिल्ली पुलिस के ज़ोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क (ZIPNET) द्वारा जारी आंकड़ों में सामने आया है। लापता होने वाले लोगों में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों की बड़ी संख्या शामिल है।
कहां से आ रहे हैं सबसे ज्यादा मामले?
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बाहरी उत्तरी दिल्ली (Outer North) में सबसे ज्यादा 908 लोग लापता हुए हैं। इसमें बवाना, स्वरूप नगर और समयपुर बादली जैसे क्षेत्र आते हैं।
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उत्तर पूर्व दिल्ली: 730
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दक्षिण पश्चिम दिल्ली: 717
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दक्षिण पूर्व: 689
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बाहरी दिल्ली (Outer): 675
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द्वारका: 644
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उत्तर पश्चिम: 636
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पूर्वी दिल्ली: 577
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रोहिणी: 452
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सबसे कम लापता मामले नई दिल्ली जिले से सामने आए — सिर्फ 85।
महिलाएं ज़्यादा निशाना?
आंकड़ों के अनुसार:
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4,753 महिलाएं
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3,133 पुरुष
इन 8 महीनों में गायब हुए हैं। यह इशारा करता है कि महिलाओं और लड़कियों की तस्करी या अपहरण की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
1,486 अज्ञात शव भी मिले
इन्हीं महीनों में दिल्ली में 1,486 अज्ञात शव भी बरामद हुए, जिनमें से अधिकतर पुरुष थे।
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उत्तरी दिल्ली: 352 शव
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मध्य दिल्ली: 113
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उत्तर पश्चिम: 93
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दक्षिण पूर्व: 83
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अन्य जिलों में भी दर्जनों शव मिले, जिनकी अब तक पहचान नहीं हो सकी है।
क्या मानव तस्करी है इसकी वजह?
विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े स्तर पर लोगों का लापता होना मानव तस्करी, जबरन श्रम या यौन शोषण जैसे मामलों से जुड़ा हो सकता है। दिल्ली जैसे महानगर में यह एक बड़ी और खतरनाक सच्चाई है, जिसे गंभीरता से लेने की ज़रूरत है।
पुलिस क्या कर रही है?
पुलिस का कहना है कि कई मामलों में लोग घर लौट आते हैं या दूसरे राज्यों में पाए जाते हैं। लेकिन ज़िपनेट पर 7,880 लोग अब तक “अनट्रेस्ड” हैं, जिससे स्थिति की गंभीरता बढ़ जाती है।
सावधानी जरूरी है!
सामान्य नागरिक क्या करें?
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बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान रखें।
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अजनबी व्यक्ति से सावधान रहें।
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लापता होने की स्थिति में तुरंत पुलिस में रिपोर्ट करें।
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किसी संदिग्ध गतिविधि की सूचना 100 नंबर पर दें।
निष्कर्ष:
दिल्ली में 2025 के पहले आठ महीनों में हजारों लोग लापता होना कोई मामूली बात नहीं है। यह एक गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक समस्या बन चुकी है। शासन, पुलिस और समाज को मिलकर ऐसे मामलों पर सख्त और संवेदनशील कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि नागरिक खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें।
