अंतरिक्ष से भारत की धरती पर वापसी

भारत के लिए 15 जुलाई 2025 का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शु्भांशु शुक्ला ने अमेरिका के कैलिफोर्निया तट के पास स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर स्प्लैशडाउन किया।

18 दिन तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहने के बाद, उनका यह मिशन कई मायनों में ऐतिहासिक रहा।


🛰️ मिशन की प्रमुख झलकियाँ:

  • मिशन नाम: Axiom Mission 4 (Ax-4)

  • प्रक्षेपण दिनांक: 27 जून 2025

  • वापसी: 15 जुलाई 2025, दोपहर 3:02 IST

  • स्थान: प्रशांत महासागर, सैन डिएगो के पास

  • कैप्सूल नाम: Grace (स्पेसएक्स ड्रैगन)

  • समय: 22.5 घंटे का वापसी सफर


🔬 क्या किया गया अंतरिक्ष में?

शु्भांशु शुक्ला ने इस मिशन में लगभग 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिसमें 7 भारतीय प्रयोग थे, जैसे:

  • माइक्रोग्रैविटी में स्टेम सेल विकास

  • मसल रीजनरेशन पर अध्ययन

  • भारहीनता में मानव व्यवहार

  • ISRO के लिए गगनयान ट्रेनिंग डेटा संग्रह


👨‍👩‍👧‍👦 भारत में जश्न का माहौल

लखनऊ स्थित उनके घर में परिवार वालों की आँखों में आंसू थे पर गर्व से। उनकी माता ने कहा:

“ये केवल हमारे बेटे की नहीं, पूरे देश की जीत है।”

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें “एक अरब सपनों को प्रेरित करने वाला योद्धा” बताया।


💸 मिशन लागत और महत्त्व

  • Axiom-4 मिशन की अनुमानित लागत: ₹550 करोड़

  • यह मिशन भारत के गगनयान कार्यक्रम की तैयारी का हिस्सा है। इसने ISRO को मानवयुक्त मिशनों के व्यवहारिक पक्षों को समझने में मदद दी है।


🧑‍🚀 अंतरिक्ष में जीवन: चुनौतियाँ और अनुभव

  • 18 दिनों तक नहाना मना था, केवल वाइप्स और ड्राई शैम्पू

  • इन-फ्लाइट हेयरकट दिया गया

  • खाने के पैकेट हल्के और डिहाइड्रेटेड थे

  • नींद समय पर न आना, माइक्रोग्रैविटी में उलझनें


📸 मीडिया कवरेज और वायरल वीडियो

उनकी स्प्लैशडाउन की वीडियो क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं। NASA और SpaceX के कैमरों ने पूरी वापसी को लाइव स्ट्रीम किया, जिसे लाखों लोगों ने देखा।


🌠 भविष्य की तैयारी: गगनयान की ओर

Axiom-4 ने भारतीय वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष मिशन की मानव सहनशक्ति, स्वास्थ्य, और तकनीकी चुनौतियों को समझने में बड़ा योगदान दिया है। अब ISRO का फोकस 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में गगनयान मिशन पर है।


🔚 निष्कर्ष

शु्भांशु शुक्ला न सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री हैं, बल्कि एक प्रेरणा हैं उन लाखों युवाओं के लिए जो विज्ञान और राष्ट्रसेवा को अपना सपना बनाते हैं। भारत ने एक और कदम अंतरिक्ष में मजबूती से रखा है।


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