SSC परीक्षा में तकनीकी गड़बड़ी से छात्र नाराज़, जंतर मंतर पर भारी विरोध प्रदर्शन
Staff Selection Commission (SSC) की Selection Post Phase 13 परीक्षा में भारी अव्यवस्थाओं के चलते देशभर के हजारों छात्र 31 जुलाई 2025 को दिल्ली के जंतर मंतर और CGO कॉम्प्लेक्स पर सड़कों पर उतर आए। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा के दौरान तकनीकी खामियों, केंद्रों की मनमानी और प्रशासन की लापरवाही से उनका भविष्य दांव पर लग गया है।

मामला क्या है?
SSC द्वारा 24 जुलाई से 1 अगस्त 2025 के बीच यह परीक्षा आयोजित की जा रही है। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार कई केंद्रों पर निम्नलिखित समस्याएं देखने को मिलीं:
🔐 प्रश्नपत्र खुल ही नहीं पाए
📡 सर्वर बार-बार डाउन होते रहे
🚪 कई उम्मीदवारों को परीक्षा कक्ष में बैठने तक नहीं दिया गया
❌ कुछ स्थानों पर परीक्षा शुरू होने के बाद रद्द कर दी गई
इस तरह की घटनाओं से हजारों छात्र प्रभावित हुए हैं, जिनका कहना है कि यह केवल तकनीकी समस्या नहीं बल्कि प्रशासनिक विफलता है।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य माँगें
छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर सरकार और SSC के सामने कुछ प्रमुख माँगें रखी हैं:
तकनीकी एजेंसी को तत्काल हटाया जाए जो परीक्षा संचालन में विफल रही।
डिजिटल पारदर्शिता के साथ परीक्षा प्रणाली को स्वतंत्र रूप से संचालित किया जाए।
जिन छात्रों की परीक्षा रद्द हुई है, उन्हें फिर से परीक्षा देने का मौका मिले।
SSC और संबंधित सरकारी विभागों को इस मामले में जवाबदेह बनाया जाए।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
दिल्ली में प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल की भारी तैनाती की गई। सूत्रों के अनुसार, कुछ जगहों पर बल प्रयोग और छात्रों की गिरफ्तारी भी हुई है। हालांकि, प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है।
छात्रों की आपबीती
छात्रों का कहना है कि उन्होंने इस परीक्षा के लिए महीनों की तैयारी की थी, महंगे कोचिंग जॉइन किए और आवेदन प्रक्रिया में पैसे खर्च किए। लेकिन परीक्षा केंद्रों पर अव्यवस्था ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।
एक छात्रा का दर्द भरा बयान:
“हमने तैयारी में दिन-रात एक कर दिए, लेकिन परीक्षा हॉल तक जाने के बाद भी हम परीक्षा नहीं दे पाए – यह हमारी गलती नहीं है।”
क्या SSC का सिस्टम फेल हो चुका है?
यह पहली बार नहीं है जब SSC परीक्षाओं में अव्यवस्था देखने को मिली हो। बीते वर्षों में भी छात्रों को इसी प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। लेकिन इस बार जिस बड़े स्तर पर विफलता हुई है, वह चिंताजनक है।
निष्कर्ष
SSC जैसी प्रतिष्ठित संस्था से उम्मीद की जाती है कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षा व्यवस्था दे। इस तरह की घटनाएं ना केवल छात्र हितों के खिलाफ हैं, बल्कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता को भी सवालों के घेरे में ला देती हैं।
अगर समय रहते सरकार और SSC ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन और भी जोर पकड़ सकता है। छात्रों की मांगें स्पष्ट हैं – पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय।
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